सजके सवर के जब रानी आवेलु
दिनवे में मन गड़बड़ावेलु
राती में सपना तू अपना दिखाके
हमरा के काहे तू बरावेलु
राजा कईला ब्याह तू मोटा जाइबा हो
खाईबा मेहरी के हाथ घोटा जाइबा हो
सुना शादी होला बर्बादी
तबो तो दिनों दिन बढ़ता आबादी
मर्दे के मान हां छिली ऐ नु जाना
बढ़ेला लोड जब जाके पछताला
अबे से काहे बैरावेलु ऐ गौरी
हरिया से गछिया सुतावेलु
राजा कईला ब्याह तू मोटा जाइबा हो
खाईबा मेहरी के हाथ घोटा जाइबा हो
मेहरी के करी मर्द रही जब उदार में
रानी के अंबानी के झर जाला पानी
होला डिमांड जब रहेला जवानी
कैसा ना भेद बतावेलु ऐ रानी
राजा कईला ब्याह तू मोटा जाइबा हो
खाईबा मेहरी के हाथ घोटा जाइबा हो