एक जो अनन्त में अनन्तता का माप है,
कृष्ण, कृष्ण बाद में है पहले कृष्ण आप है।
रूप क्या थे सबके सिर्फ झूठे आज पाठ थे,
कृष्ण अपने आप में मनुष्यता के ठाठ थे,
पूरी भव्यता में दिव्यता के पाठ थे,
जितना जग लघु था कृष्ण उतने ही विराट थे।
एक जो अंनत में अनन्तता का माप है,
कृष्ण, कृष्ण बाद में है पहले कृष्ण आप है।
देह की परंपरा में नयी सी लय का जन्म था,
पहली बार भय के गर्भ से अभय का जन्म था,
पाप के लिए जैसे ये प्रलय का जन्म था,
जन्म का समय नहीं था ये समय का जन्म था।
एक पूरी सभ्यता के पुण्य का प्रताप है,
कृष्ण, कृष्ण बाद में है पहले कृष्ण आप है।
पांडवों के साथ बस था एक सुयोग कृष्ण थे,
राधिका के साथ जो रहा वियोग कृष्ण थे,
कौरवों के काल कह रहे थे लोग कृष्ण थे,
जितने लोग थे धरा पर सबका योग कृष्ण थे।
शत्रुओं के भी वही है मित्र का मिलाप है,
कृष्ण, कृष्ण बाद में है पहले कृष्ण आप है।
सारी चेतना ही प्रेम के जतन के पास थी,
रौशनी की कम थी लौ अधिक जलन के पास थी,
युद्ध से भी पहले प्रीत जिनके मन के पास थी,
चक्र से अधिक तो बासुरी किशन के पास थी।
वीरता के तप आप है वीरता के ताप,
कृष्ण, कृष्ण बाद में है पहले कृष्ण आप है।